अपने खेत में बनाओ यह ‘चोका सिस्टम’,सूखे में भी खेती के लिए नहीं होगी पानी की कमी

आज हम आपको एक ऐसी तकनीक की जानकारी देना चाहते है जिस से हर किसान को लाभ मिलेगा और वो काफी हद तक अपने खेत की सिंचाई के लिए पानी इकठा कर सकता है ।भारत का एक किसान ऐसा भी है, जिस से दुनिया के सब से हाईटैक देश इजरायल के लोग भी सीखने आते हैं। इस किसान की विकसित की गयी तकनीक अब इजरायल में लागू की जा रही है। आज हम आपको इस तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं।

इस हाईटेक तकनीक का नाम है ‘चोका सिस्टम’। यह एक ऐसी तकनीकी है जिसे देश के हर कोने, हर गांव, हर शहर का किसान अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है। यह तकनीक किसान को कमाई कराने, उसे गांव में ही रोजगार देने, पानी बचाने और जमीन को सही रखने के लिए विकसित की गयी है।

‘चोका सिस्टम’ तकनीक का  ज्ञान देने वाले इस किसान का नाम है लक्ष्मण सिंह। 62 साल के लक्ष्णम सिंह राजस्थान के जयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर लाहोडिया गांव के रहने वाले हैं।

किसी समय ये गांव भीषण सूखे का शिकार था। 40 साल पहले लक्ष्मण सिंह ने अपने गांव को बचाने के लिए मुहिम शुरु की । आज लापोडि़या समेत राजस्थान के 58 गांव चोका सिस्टम की बदौलत तरक्की की ओर है। यहां पानी की समस्या काफी हद तक कम हुई है। किसान साल में कई फसलें उगाते हैं। पशुपालन करते हैं और काफी पैसा कमाते हैं।

‘चोका सिस्टम’बनाने का तरीका

चोका सिस्टम हर पंचायत की सार्वजनिक जमीनों पर बनता है। एक ग्राम पंचायत में करीब 400 से 1,000 बीघा जमीन खाली पड़ी रहती है, इस खाली जमीन में ग्राम पंचायत की सहभागिता से चोका सिस्टम बनाया जाता है। खाली पड़ी जमीन में जहां बरसात का नौ इंच पानी रुक सके वहां तीन चौड़ी मेड (दीवार) बनाते हैं, मुख्य मेड 220 फिट लम्बाई की होती है और दोनों साइड की दीवारे 150-150 फिट लम्बी होती हैं।

लेवल नौ इंच का करते हैं जिससे नौ इंच ही पानी रुक सके, इससे घास नहीं सड़ेगी। इससे ज्यादा अगर पानी रुका तो घास नहीं जमेगी। हर दो बीघा में एक चोका सिस्टम बनता है, एक हेक्टेयर में दो से तीन चोका बन सकते हैं। एक बारिश के बाद धामन घास का बीज इस चोका में डाल देते हैं इसके बाद ट्रैक्टर से दो जुताई कर दी जाती है।

सालभर इसमें पशुओं के चरने की घास रहती है। इस घास के बीज के अलावा देसी बबूल, खेजड़ी, बेर जैसे कई और पेड़ों के भी बीज डाले जाते हैं। इसके के आसपास कई नालियां बना दी जाती हैं, जिसमें बरसात का पानी रुक सके। जिससे मवेशी चोका में चरकर नालियों में पानी पी सकें।