इजरायली तकनीक से ऐसे करें टमाटर की खेती, कई गुना बढ़ जायेगा उत्पादन

टमाटर चाहे सामान्य हो या चैरी टमाटर इनकी फसलों में गुणवत्ता में सुधार लाकर एंव जैविक विवि अपनाकर अधिकत्तम उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है। नई पॉली हाउस और नेट हाउस तकनीक से जो किसान अभी हाल ही में जुड़े हैं वे प्रति यूनिट क्षेत्र से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। किसान वैज्ञानिक तरीका अपनाकर टमाटर की उत्तम खेती   कर सकते हैं और अपनी आर्थिक आय में वृद्धि कर सकते हैं।

सबसे पहले किसानों को रोजर्मरा घरों में इस्तेमाल होने वाले टमाटर की असीमित पैदावार वाली शंकर प्रजातियों का चुनाव करना चाहिए। इनमें मुख्यत हिम सोना, हिम शिखर, एनएस-4266, नवारा, लिडरटन, पंजाब गौरव, पंजाब सरताज, टाल्सटाय, एनएस-4190 एंव टमाटर हाईब्रिड-1057 का चयन करें। एक ग्राम टमाटर के बीज में लगभग 125 से 150 बीज संख्या में होते हैं। चैरी टमाटर की प्रमुख किस्में: इस टमाटर को कंचा टमाटर भी कहा जाता है। इसकी प्रमुख किस्में पंजाब संतरी चैरी, पंजाब रैड चैरी, रोजा, रेजीमों, शीज़ा, शीरान, मैसकोटल, औले, लैला, बीएसएस-834 व चिरैमी आदि हैं।

ऐसे करें बिजाई और रोपाई

रोपाई करते समय किसान ध्यान रखे कि 70 से 80 ग्राम बीज एवं पौधो की संख्या 10 हजार प्रति एकड़ की आवश्यक्ता होती है। बजाई पूरे अगस्त की जा सकती है। इसके बाद जब पौध 25 से 30 दिन की हो जाए तो पौधों को प्लास्टिक की कटोरियों से मसाले समेत निकाल कर पूरे सिंतबर के महीने में ऊपर उठे बैड़ो पर रोपाई की जाती है।

बैड़ से बैड़ की दूरी 170 से 180 सैंटीमीटर, बैड़ का आधार 80 सैंटीमीटर, बैड़ की ऊंचाई 45 सैंटीमीटर और बैड़ के ऊपर का माथा 45 सैंटीमीटर रखना चाहिए।  एक बैड़ पर टमाटर की दो कतारे लगाईं जाती हैं। पौध रोपाई के समय पौधों को जेड़ या डब्लयू आकृति में लगाना चाहिए। जिससे पौधों को बराबर का वातावरण एंव पौष्टिक तत्व भूमि से प्राप्त हो सके।

ऊपर उठे बैड़ो पर रोपाई से पहले प्लास्टिक मल्च का प्रयोग करना आवश्यक है। किसान ध्यान रखें प्लास्टीक मल्च की काली सत्तह नीचे, जबकि चांदी की सत्तह को ऊपर की तरफ रखें। कतार से कतार की दूरी 30 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 40 सैंटीमीटर रखें। टमाटर की दोनों कतारों के बीच में अंदर की ओर दो ड्रीप लाइन रखना जरूरी होता है। ध्यान रहे पौध की रोपाई दोपहर बाद ही करें।

ऐसे करें जैविक दवाइयों का प्रयोग: संबधित विशेषज्ञों की सलाहनुसार फसल में जैविक दवाइयां व रासायनिक खादों का प्रयोग करें। जब पौधे 15 से 20 दिन के हो जाए। उस अवस्था में ही रासायनिक खादों का (मुख्य तत्व एंव सुक्ष्म तत्वों ) का इस्तेमाल किया जाना आवश्यक होता है। टमाटर की फसल आठ से नौ महीने नेट हाउस में रहती है। जिसमें नंवबर महीने से फल मिलने शुरू हो जाते हैं जो कि जून के प्रथम सप्ताह तक चलते हैं। एक पौधे से लगभग छह किलो टमाटर किस्मों आधार किसान प्राप्त कर सकता है।

ये रखें ध्यान : टमाटर के अच्छी पैदावार लेने के लिए टमाटर के पीले रंग के गुच्छों को इलैक्ट्रीक वाइब्रेटर या वाइब्रेटिंग बी का प्रयोग टमाटर के फल की शुरूआती अवस्था में करना लाभदायक है। ऐसा करने पर सभी पीले फूल फल आने से पहले झड़ सकते हैं। टमाटर के गुच्छे में मटर के दाने जितने आकर का फल लग जाए तो ऐसे में उस गुच्छे पर मशीन का प्रयोग न करे।

सिंचाई विधि : अच्छा ये रहेगा यदि किसान पॉली या नेट हाऊस में सुबह के समय में रोपाई से पहले खाली पानी 15 से 20 मिनट के चला दें। जिससे किसान को उचित स्थान पर जहां पर पानी की नमी है। उसी जगह ही टमाटर की पौध को रोप दिया जाए। रोपाई के तुरंत बाद ड्रिप लाइन द्वारा सिंचाई करना बेहद जरूरी है। यदि किसी कारण से बारिश हो जाए तो ऐसे में किसान को हल्की सिंचाई करनी चाहिए।