कमल ककड़ी की खेती से किसान कर रहे है प्रति एकड़ 1 लाख की कमाई,जाने पूरी जानकारी

भारत-पाक सीमा(पंजाब) पर धान के बाद कमल ककड़ी किसानों की पसंद है। यही कारण है कि 4-5 साल से कमल ककड़ी का रकबा लगातार बढ़ा है। दूसरे राज्यों और बड़े शहरों में कमल ककड़ी की मांग बढ़ने के कारण पंजाब के किसानों को इसकी मार्केटिंग की भी ज्यादा समस्या नहीं आती। सरहद के खेतों में उपजी कमल ककड़ी दक्षिण व पश्चिम राज्यों में लोगांे को खूब भा रही है।कमल ककड़ी मुख्य रूप से कमल की जड़ होती है।  यह जितनी खाने में स्वादिष्ट उससे कई गुना ज्यादा औषधीय गुणों से युक्त होती है

कमल ककड़ी को सब्जी के अलावा आचार के रूप में भी प्रोयग में लाया जाता है। मुंबई में इसकी खासी मांग है। सीमावर्ती किसानों का संपर्क कई प्रदेशों के व्यापारियों से होने के कारण अब फोन पर ही ऑर्डर मिलने लगे हैं। इसके अलावा किसान मालगाड़ी के माध्यम से भी कमल ककड़ी भेजने लगे। गांव चांदी वाला के किसान बगीचा सिंह ने बताया कि कमल ककड़ी से एक एकड़ में करीब एक लाख रुपए की आमदन हो जाती है।

तिहरी कमाई : साल में तीन बार बोई जाती है, मार्च-अप्रैल में गेहूं काटने के बाद लगती है।  किसानों ने बताया कि कमल ककड़ी साल में तीन बार होती है। गेहूं की कटाई करने के बाद कमल ककड़ी की बिजाई शुरू हो जाती है। गांव खुंदड़ गटी के किसान जंगीर सिंह ने बताया कि वह 25 साल से कमल ककड़ी की खेती कर रहे हैं।

धान से अधिक मुनाफा होने के कारण कभी धान की खेती नहीं की। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में 50 से 60 क्विंटल कमल ककड़ी पैदा हो जाती है। लोकल में इसका 10 से 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से रेट मिलता है। यहां की बजाय किसान इसे जम्मू-कश्मीर और मुंबई के व्यापारियों को बेचते हैं। यहां से फसल मालगाड़ी से भेजते हैं और व्यापारी खाते में उसकी बनती राशि डाल देते हैं। दक्षिण के राज्यों में 80 से 100 रुपए प्रति किलो के हिसाब से यह बिक जाती है।

भरपूर फाइबर होने से शुगर रोगियों के लिए फायदेमंद

कमल ककड़ी में फाइबर प्रचुर मात्रा में होने से ये शुगर के मरीजों के लिए लाभकारी है। कब्ज, कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल में रखती है। त्वचा के लिए भी गुणकारी मानी जाती है। विटामिन सी होने से इसकी सब्जी से शारीरिक बल बढ़ता है। कमल ककड़ी के सेवन से हडि्डयों को भी मजबूती मिलती है।