सब्जी की खेती से 8 गुणा ज्यादा आमदनी लेनी है तो ऐसे करें खेती

सोनीपत में पहले खादर के किसान कर्ज में डूबे थे। परिवार परंपरागत खेती पर निर्भर था। जिससे गुजारा लायक ही आमदनी होती थी। मात्र आठ साल में सब्जी की खेती में एक ऐसी क्रांित आई कि किसानों की किस्मत चकम उठी।

किसानों को लाभ तो हुआ ही, साथ ही विदेशी भी उनके यहां नई तकनीक से रूबरू होने के लिए आने लगे। यहां के किसानों ने अब पाॅली हाउस की खेती को ही अपना रोजगार बना लिया है। किसान इस बार पाॅली हाउस में लाल-पीली शिमला मिर्च, टमाटर व खीरा की खेती ले रहे हैं।

किसानों का कहना है कि ओपन फिल्ड में उगने वाली शिमला मिर्च व पाॅली हाउस की लाल-पीली शिमला मिर्च में आठ गुणा ज्यादा आमदनी का अंतर है। एक समय था जब खादर के किसान केवल गेहूं व धान पर निर्भर थे। परिवार का गुजारा मुश्किल से चलता था। किसानों के मन में कुछ अलग करने की लालसा हुई।

यहां किसानों ने पहले बेबीकार्न व स्वीटकाॅर्न की खेती शुरू की थी। जब मंडी में भाव अच्छे मिलने लगे तो किसान पाॅली हाउस लगाने लगे। अब यहां के किसान केमिकल फ्री सब्जी पाॅली हाउस में ले रहे हैं। इस सीजन में सबसे ज्यादा येलो व रेड शिमला मिर्च की खेती किसान ले रहे हैं।

सब्जी प्रदूषण रहित होती है

पाॅली हाउस की सब्जी की फसल पूरी तरह से प्रदूषण, खरपतवार तथा कीट पतंगों से दूर रहती है। शिमला मिर्च, खीरा, टमाटर, स्टाब्रेरी, घीया जैसी फसल पाॅली हाउस के अंदर तैयार हो रही हैं। किसान जैविक खाद से सब्जी की खेती ले रहे हैं। जिससे उन्हें मंडी में अच्छे भाव भी मिल रहे हैं।

खुले में एक पौधे पर 5 से 10 किलो व पॉली हाउस में 40 किलो टमाटर लगते हैं

मनौली गांव के अरूण चौहान, दिनेश चौहान ने बताया कि ओपन खेत में टमाटर के मात्र 2000 पौधे लगते हैं। पाॅली हाउस में टमाटर के 4 हजार पौधे लगते हैं। ओपन खेत में एक पौधे पर औसतन 5-10 किलोग्राम टमाटर लगते हैं। जबकी पाॅली हाउस में एक पौधे पर 40 किलोग्राम टमाटर लगते हैं। इससे किसान को आठ गुणा ज्यादा फसल मिलती है।

इसी तरह से शिमला मिर्च के 11 हजार पौधे पाॅली हाउस में लगते हैं। बीस टन शिमला मिर्च की पैदावार होती है। मंडी में रेड व येलो शिमला मिर्च का रेट 180 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिलता है। जबकी ग्रीन शिमला मिर्च का मंडी में केवल 20 से 25 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से रेट मिलता है।
राई |