ऐसे तैयार करें देसी गाय का औषधि वाला दूध, एक लीटर की कीमत है 88 रुपए

पशुपालक किसान भाइ हमेशा अपने फार्म का दूध महंगे दाम पे बेचने के तरीके और पशु की डाइट के बारे में चिंतित रहते हैं, आज हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं कि आप कैसे आप देसी गाय औषधि वाला दूध तैयार करके अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। दरअसल हरयाणा के करनाल जिले में गांव बवाना के दो किसान अनूप यादव और रवि कुमार देसी गायों को बढ़ावा देने के लिए अनुठा प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने इसके लिए फिलहाल 17 देसी गायों को पाला है। अनोखी बात यह है कि वे इन गायों को फार्म में हमेशा खुला हुआ रखते हैं। सिर्फ दूध निकालने के समय इन गायों को बांधा जाता है। इन देसी गायों के लिए बाड़े में सभी तरह की व्यवस्था की गई है, ताकि वे वहीं पर टहलते-टहलते ही चारा-पानी भी कर लें।

उनके पास देसी हरियाणवी साहिवाल गायों की संख्या ज्यादा है। इन गायों से मिलने वाला ए-2 दूध प्रोटीन से भरपूर होता है। जिसमें पूरा आर्गेनिक व देसी खाने व दवाईयों का इस्तेमाल ही किया जाता है। इस फार्म का नाम भी एसओएस यानि सभ्यता व संस्कृति ही रखा गया है।

गायें खा रही हैं औषधियां, देती हैं ‘ए-2’ दूध

अनूप सिंह ने बताया कि गायों व उनके दूध के साथ वे किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं करना चाहते। इसीलिए गायों को सतावरी, अश्वगंधा, जिवंती, हरहड़, मुलेठी, हरेड़ा व आवला आदि जड़ी बूटियां भी खिलाई जाती है। जिनसे दूध की गुणवत्ता बढ़ती है। इस दूध में विटामीन ए बेटाक्रोटिन रहता है। यह विटामिन केवल देसी गाय के दूध में ही पाया जाता है। इससे बच्चों की मानसिक वृद्धि व हृदय के लिए बहुत लाभकारी होता है।

दिया जा रहा है नेचुरल व आर्गेनिक चारा

उन्होंने बताया कि वो गायों को जो चारा खिला रहे हैं, वह बिल्कुल नेचुरल और आर्गेनिक है। इसमें किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं की गई है। उन्होंने नौ एकड़ में गायों के खाने के लिए गत दो सालों से जैविक चारा बोया है। जिसमें किसी भी यूरिया या प्रेस्टिासाइड का छिड़काव नहीं किया गया। पूरी खेती गाय आधारित है जिसमें गोबर व गोमूत्र का ही प्रयोग किया जाता। साथ ही उनका कहना है कि गाय बीमार होने पर किसी भी प्रकार की अंग्रेजी दवाई का प्रयोग वे नहीं करते। इसके लिए आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक दवाई का ही इस्तेमाल करते हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय में हो रही सप्लाई

गांव बवाना की डेयरी से करीब 80 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। गायों के दूध की सप्लाई केंद्रीय विश्वविद्यालय जाट पाली में हो रही है। इसके अलावा शहर में भी दूध की सप्लाई की डायरेक्ट सप्लाई की जाती है। फिलहाल उन्होंने एक लीटर दूध की कीमत 88 रुपए रखी हुई है। वहीं उनके द्वारा घी भी तैयार किया जा रहा है जिसकी कीमत 1690 रुपए प्रति किलो रखी गई है। उन्होंने बताया कि फार्म पर किसी भी प्रकार के प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाता। दूध निकालने से लेकर दूध को उत्पाद पैकेजिंग तक सभी कार्य कांच या स्टील या मिट्टी के बर्तनों में ही होता है।

पंचगव्य पदार्थों का भी होगा उत्पादन

उन्होंने बताया कि अगले माह से ही वे पंचगव्य पदार्थों का भी उत्पादन करने लगेंगे। इनमें दंतमंचन, धूपबत्ती, आर्गेनिक खाद, गोबर, दही, घी व गोमूत्र से बनने वाली औषधियां भी हैं। तो ऐसे ही सभी किसान भाई इन किसानों से सीख ले सकते हैं और इनके तरीके से देसी गौपालन करके काफी अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।