केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों के युवाओं और किसानों के लिए एक नई योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत सरकार किसानों को गांव में सॉयल टेस्टिंग लैब (Soil Testing Lab) खोलने के लिए पैसे देगी जिससे किसान कमाई कर सकते हैं। इस लैब को तैयार करने में करीब 5 लाख रुपए का खर्चा आएगा और इस में से 75 प्रतिशत यानि 3.75 लाख रुपए सरकार देगी। इस में से ढाई लाख रुपए लाख लैब को चलाने के लिए टेस्टिंग मशीनें, रसायन और बाकि जरूरी चीजों पर और बाकि बचे पैसे कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, GPS वगेरा के खर्चे के लिए इस्तेमाल होंगे।
मिट्टी के सैंपल लेने, टेस्ट करने और मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड देने के लिए सरकार 300 रुपए प्रति सैंपल देगी। जो भी युवा किसान ये लैब खोलना चाहते हैं वो अपने जिले के डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चरल, जॉइंट डायरेक्टर या उसके दफ्तर में सम्पर्क कर सकते हैं। इस बारे में ऑनलाइन जानकारी के लिए agricoop.nic.in. या soilhealth.dac.gov.in वेबसाइट और किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) में सम्पर्क किया जा सकता है।
इस स्कीम को शुरू करने के पीछे सरकार का लक्ष्य किसानों को अपने गांव में ही मिट्टी जाँच की सहूलत देना और साथ ही ग्रामीण इलाके के युवाओं को रोज़गार देना है। इस लैब को दो तरीके से खोला जा सकता है। पहला तरीका ये है कि एक दूकान किराये पर लेकर लैब खोलना या फिर दूसरा तरीका है मोबाइल सॉयल टेस्टिंग लैब यानि किसी बड़े वाहन में एक चलती फिरती लैब खोलना।
देश में इस तरह की लैब्स बहुत कम हैं और सरकार ने अब 10845 और लैब्स को मंजूरी दे दी है। आंकड़ों के अनुसार देश में 14 करोड़ से ज्यादा किसान परिवार हैं। जिस कारण इतनी कम लैब्स से काम नहीं चलेगा। इस स्थिति में अगर माजूदा संख्या को देखा जाए तो 82 गांव के लिए सिर्फ एक लैब है। इसी लिए कम से कम 2 लाख ऐसी लैब्स की जरूरत है।