बहुत से किसान सिर्फ पारम्परिक खेती पर निर्भर हैं। ऐसे में किसान ये सोचता है कि वह गेहूं वगैरा की अच्छी किस्मों को उगाये और अच्छी पैदावार ले सके। बता दें कि गेहूं रबी सीजन की प्रमुख फसल है और इसकी बुवाई का समय अधिकतर गन्ना और धान की कटाई के बाद का है। हर बार गेहूं की बुवाई से पहले किसानों के सामने सबसे बड़ा और पहला काम गेहूं की बढ़िया से बढ़िया किस्म चुनाव करना होता है जिससे वो ज्यादा पैदावार ले सकें।
किसानों के सामने एक बड़ी समस्या पानी की भी होती है।इसी लिए आज हम आपको गेहूं की एक नई किस्म के बारे में जानकारी देंगे जिससे किसान सबसे कम पानी में सबसे ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं। आपको बता दें कि जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय में गेहूं की कई प्रमुख किस्मों के साथ साथ कुछ नई फसलों पर भी पर प्रयोग किया गया है। इस प्रयोग के बाद यह बात सामने आयी है कि गेहूं की नई किस्म HI-1605 मारवाड़ की जलवाय के लिए सबसे उपयुक्त पाई गई है।
कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारीयों का कहना है कि जल्द ही यह किस्म किसानों के लिए बाजार में उपलब्ध करवा दी जाएगी।आपको बता दें कि एचआइ-1605 किस्म का प्रयोग ट्रायल सेंटर पर करीब एक साल तक किया गया और इसके नतीजे बहुत बढ़िया रहे हैं। इस रिसर्च के बाद किसानों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी ये सामने आयी है कि इसमें मारवाड़ के किसानों को सभी किस्मों से अधिक उपज का लाभ मिल सकेगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं की बाकि किस्मों के मुकाबले इस नई किस्म में आयरन और जिंक की मात्रा काफी ज्यादा होती है जिसके चलते कुपोषण खत्म करने में मदद करती है। उत्पादन की बात करें तो ये बहुत कम पानी में भी आम तौर पर 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और औसतन 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उत्पादन देती है। किसान 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच इसकी बुवाई कर सकते हैं। इसमें एक विशेश खासियत यह भी है कि यह कई रोग रहित किस्म है और इसमें गेरुआ रोग, कंड़वा, फुटरोग, फ्लेग स्मट, लीफ ब्लाइट, करनाल बंट आदि रोग नहीं लगेंगे।