किसी समय पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसते थे ये किसान, अब ऐसे कर रहे है विदेशों में अनार का निर्यात

किसी समय रेतीले धोरों में पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसने वाले बाड़मेर के किसानों ने ऐसा करिश्मा कर दिखाया है कि अब विदेशों तक उनकी पहचान है। इन किसानों रेतीले धोरों में अनार उगने की आस के साथ 2010 में बालोतरा के बूड़ीवाड़ा में अनार का पहला प्लांट लगाया था।

उसके बाद सिर्फ बस 4 साल में अनार तैयार हो गया। इनके अनार की क्वालिटी व स्वादिष्टता के चर्चे दूर-दूर तक छा गए। फिर इन किसानों ने अनार की बंपर बुवाई शुरू कर दी। आज के समय में 4500 हैक्टेयर में ये किसान अनार की खेती कर रहे हैं। इसके चलते अनार की खेती और उत्पादन में बाड़मेर प्रदेश में पहले नंबर पर है।

बाड़मेर में कम आर्द्रता के कारण इनके अनार में बीमारियां कम फ़ैल रही हैं। यही वजह है कि अनार का साइज, क्वालिटी और स्वाद अनोखा है और बाड़मेर का अनार नेपाल सहित कई देशों में निर्यात हो रहा है। 4500 हैक्टेयर में ये किसान अरबों रुपए के अनार की खेती कर रहे हैं।

अनार की पैकिंग के लिए मजदूर टेंट लगाकर श्रमिक रात-दिन जुटे रहते हैं। किसानो ने बताया कि 2500 पौधों का 3.5 हैक्टेयर में बगीचा लगाकर शुरुआत कि गयी थी और अब तो हर गांव में अनार की खेती होने लगी है। व्यापारी ने 52 रुपए प्रति किलो के हिसाब से अनार की बोली लगाकर नेपाल भेजने के लिए खरीदा है।

बाड़मेर में 4500 हेक्टयेर में 135 करोड़ के अनार का उत्पादन हो रहा है। एक हैक्टेयर में 625 पौधे लगाए जाते है। इससे एक हैक्टेयर में 3 से 3.5 लाख का अनार उत्पादन होता है।