पंजाब के पातड़ां के नज़दीक ज्यूणपुरा दुगाल नाम के गांव के दो किसान धान की पनीरी की बिजाई करते हैं और साल में लाखों रुपए कमा लेते हैं। इस गाँव के 10 से 12 किसान शुरू से पनीरी बेचने के लिए ही बीजते हैं। पंजाब ,हरियाणा और साथ लगते अन्य सूबों के किसान हर साल यहां से पनीरी खरीदने के लिए आते हैं।
बाढ़ या किसी और प्रकोप के कारण पनीरी व धान के मारे जाने पर प्रभावित किसानों के लिए इस गांव के किसान वरदान साबित हो रहे हैं। इस गांव के किसान लालच के लिए नहीं बल्कि समाजसेवा के लिए अधिक काम कर रहे हैं। इसके साथ ही पनीरी के दाम बढ़िया मिलने पर आमदन भी अच्छी खासी हो रही है।
किसान दीदार सिंह और सुखपाल सिंह का कहना है कि वह दो एकड़ में धान की पनीरी बीजते आ रहे हैं। कम समय और पानी की बचत को मुख्य रख कर बीजी जाने वाली एक मरला पनीरी पर जुताई समेत उनका बहुत कम खर्च आता है। उनका कहना है कि हमारी तरफ से बीजी गई यह पनीरी ज्यादातर उन किसानों के लिए वरदान साबित होती है,
जिनकी पनीरी किसी कारण से सूख जाती है या बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ के दौरान लगाई हुई धान मारी जाती है। गांव कई सूबों में हर साल पनीरी बीजे जाने कारण मशहूर है और यहां से पंजाब, हरियाना और दूर दराज से किसान पनीरी लेने के लिए आते हैं । ऐसा करके वह एक महीने में ही एक लाख तक कमा लेते हैं।
तैयार होने में लगते हैं 25 दिन
इस गांव के कई और किसान भी पनीरी की बिजाई करते हैं। यह धंधा बहुत फायदेमद साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि 25 दिन में पनीरी तैयार हो जाती है और करीब एक महीने में ही पनीरी को बेच दिया जाता है।
पनीरी को बेचने के बाद जमीन खाली हो जाती है तो उसकी बुआई कर वहां पर धान की बीजाई कर दी जाती है। ऐसे में एक महीने में ही किसान कमाई कर आगे की फसल भी तैयार कर लेते हैं। इसके साथ ही जिन किसानो की कुदरती कारणों के चलते पनीरी खराब हो जाती है उन्हें भी समय पर पनीरी मिल जाने से वे समय पर धान की बिजाई कर पाते हैं।