हमारे देश के ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं। देश की आर्थिक उन्नती में किसानों का महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे देश के ज्यादातर किसान परंपरागत खेती करते है, किसानो को फसलों का सही दाम नहीं मिलता, जिस के कारण किसान कर्ज के बोझ से निकल नहीं पाते, हलाकि कुछ किसान परंपरागत खेती को छोड़ तरक्की का रास्ता निकाल रहे हैं.
कुछ किसान अतीश, कुठ, कुटकी, करंजा, कपिकाचु और शंखपुष्पी जैसे हर्बल पौधों की खेती से 3 लाख रुपये प्रति एकड़ तक कमा रहा है.हर्बल पौधों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों और पर्सनल केयर उत्पाद बनाने में किया जाता है. पतंजलि, डाबर और हिमालया जैसी कंपनियां इन प्रोडक्ट्स को बेचती हैं.
किसान अतीश जड़ी-बूटी से प्रति एकड़ 2.5 से 3 लाख रुपये कमा सकते है, अतीश जड़ी-बूटी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के इलाके में किसान इसकी खेती कर रहे हैं. आप को बता दे की हिमाचल प्रदेश के सांगला गांव के किसान अतीश, रतनजोत और कारू की खेती कर रहे है, जिस से किसान डेढ़ लाख से 3 लाख रुपये प्रति एकड़ सालाना तक कमा रहे हैं,
जम्मू-कश्मीर के किसानो ने बताया की हमने मक्के की खेती छोड़कर लैवेंडर की खेती शुरू कर दी, जिस से हमे 4 गुना ज्यादा मुनाफा हो रहा है , इन फसलों की खेती को ज्यादा पानी या खाद की जरूरत नहीं पड़ती. कम पानी में भी ये फसलें हो सकती हैं. कुछ किसान राजस्था में भी इन फसलों की खेती कर रहे है.