अब बंजर भूमी से भी किसानों को होगी 18 लाख की आमदन, जानें कैसे

देश में किसानों की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है.किसानों को फसलों का पूरा दाम नहीं मिल रहा, इसीलिए किसानों की हालत को देखते हुए अब केंद्र सरकार की तरफ से कई योजनाए चलाई जा रही हैकिसानों की माली हालत सुधारने की दिशा में चल रही कोशिशों में सरकार इनोवेशन पर जोर दे रही है जिसके तहत बंजर पड़ी भूमि पर ‘काजू की खेती’ को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

बहुत से राज्यों में कभी सूखा, कभी अतिवृष्टि और कभी अधिक उत्पादकता किसानों के लिए समस्या का कारण बनती है। जिसके चलते किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन अब बंजर पड़ी ज़मीन में भी किसान काजू की खेती करके कम से कम 18 लाख की आमदन ले सकते हैं।

उद्यानिकी विभाग के अधिकारीयों का कहना है कि काजू और कोको विकास निदेशालय, कोच्चि (केरल) ने भारत के कई राज्यों के जलवायु को काजू की खेती के लिए उपयुक्त पाया है। इसी के चलते राष्ट्रीय कृषि विकास योजना ‘रफ्तार’ में इस वर्ष काजू क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम को लागू किया गया है।

वहीँ महाराष्ट्र के बैतूल, छिन्दवाड़ा, बालाघाट और सिवनी जिलों के किसानों द्वारा कुल 1,430 हेक्टेयर क्षेत्र में काजू के एक लाख 60 हजार पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा एक लाख 26 हजार पौधे और उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उनका कहना है कि किसान अगर पारम्परिक खेती से थोड़ा अलग कुछ करना चाहते हैं तो काजू की खेती उनके लिए काफी फायदे का सौदा साबित हो सकती है।

एक पेड़ से 15 किलो फल

माहिरों के अनुसार किसान एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 200 काजू के पेड़ लगा सकते हैं, प्रति पेड़ के बीच की दूरी सात मीटर की होती है। किसान एक पेड़ से औसतन 15 किलो फल का उत्पादन ले सकते हैं। इस तरह एक हेक्टेयर में 200 पेड़ से कुल 3000 किलो काजू पैदा हो सकता है। इसको बेचने की बात करें तो अगर बाजार में काजू की कीमत 600 रुपये भी लगाई जाए तो किसान एक हेक्टेयर से करीब 18 लाख रुपये प्रति वर्ष की आमदनी ले सकते हैं।