सावधान! अब अगर खेती में किया रसायनिक खाद का इस्तेमाल तो होगी एक साल की सज़ा

आज के समय में किसान ज्यादा उत्पादन और फसलों को बिमारियों से बचने के लिए रसायन खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल बहुत ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे में कीटनाशक बनाने वाली बहुत सी अनरजिस्टर्ड कंपनिया इसका फायदा उठाते हुए कीटनाशकों के नाम पर ज़हर बेच रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार द्वारा जैविक खेती और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए और किसानों को खुशहाल बनाने के लिए एक अहम फैसला लिया गया है।

आपको बता दें कि एक कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड जैविक कृषि विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी गई है और इसे आगामी विधानसभा सत्र में पेश कर पारित कर दिया जाएगा। उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत इस विधेयक के अंतर्गत 10 ब्लाकों को जैविक ब्लॉक घोषित कर दिया जाएगा।

इस योजना के पहले चरण में इसके अंतर्गर सभी ब्लॉकों में किसी भी तरह के केमिकल, पेस्टीसाइट, इन्सेस्टिसाइट बेचने और इस्तेमाल करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। यदि इसके बाद किसान इस नियम का उल्लंघन करके किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल करता है तो उसे कम से कम 1 साल जेल और साथ ही एक लाख रुपये तक जुरमाना लगाया जाएगा।

कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि अगर ये प्रयोग पहले चरण के 10 ब्लॉक में सफल रहता है तो उसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। ये सब करने के पीछे जैविक कृषि विधेयक का उद्देश्य उत्तराखंड में जैविक खेती को बढ़ावा देना हेयर साथ ही जैविक उत्तराखंड के ब्राण्ड को स्थापित करना है। ताकि राज्य के उत्पादों को देश-विदेश में एक अलग मान्यता मिल सके।

केंद्र सरकार द्वारा जिन जैविक उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित नहीं किया गया है, उन सभी की MSP उत्तराखंड सरकार घोषित करेगी। ऐसा करने पर उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां अपने जैविक उत्पाद बेचने के लिए किसानों को दिक्क्तों का सामना नहीं करना पड़ेगा और इसके लिए विशेष व्यवस्था भी की गयी है।

खबरें हैं कि मंडी परिषद फंड के ज़रिये किसानों के जैविक उत्पाद खरीदेगी और उसकी प्रोसेसिंग करने के बाद मार्केटिंग करेगी। ऐसा करने से जो लाभ होगा वो किसानों में बांटा जायेगा। सर्टिफाइड होने पर जैविक उत्पादों की कीमत बढ़ जाती है और उसे ब्रांड के रूप में स्थापित किया जा सकता है।