जानें केंद्र सरकार के वो दो अध्यादेश जिसके खिलाफ गुस्से में हैं किसान

केंद्र सरकार द्वारा कृषि सुधार का सबसे बड़ा कदम बता कर जो अध्यादेश जारी किये गए हैं, उनका विरोध किसान और व्यापारी दोनों कर रहे हैं। आपको बता दें कि मोदी कैबिनेट द्वारा 3 जून को दो नए अध्यादेशों पर मुहर लगाई गयी थी और EC Act में संशोधन की मंजूरी दी गयी थी। आईए जानते हैं कि कौनसे हैं ये दो अध्यादेश।

अध्यादेश-1: कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार-संवर्धन एवं सुविधा अध्यादेश

सरकार के अनुसार इस अध्यादेश के लागू होने से किसानों के लिए एक सुगम और मुक्त माहौल तैयार हो सकेगा, जिसमें उन्हें अपनी मर्ज़ी से कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने की आजादी होगी। ‘एक देश, एक कृषि मार्केट’ बनेगा। यानि किसान अपनी फसल को कहीं भी बेच सकेगा। ऐसा करने से बाजार की लागत कम होगी और किसानों को फसल का अच्छा दाम मिल सकेगा।

इस अध्यादेश से पैन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति, कंपनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकते हैं। कृषि माल की बिक्री कृषि उपज मंडी समिति (APMC) में होने की शर्त हटा ली गई है। मंडी से बाहर होने वाली खरीद के ऊपर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगेगा।

वहीँ दूसरी ओर किसानों का कहना है कि किसानों के उत्पाद की खरीद मंडी में नहीं होगी तो सरकार इस बात को रेगुलेट नहीं कर पाएगी कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिल रहा है या नहीं। शर्तों के अनुसार अगर इस अध्यादेश में किसान और कंपनी के बीच किसी प्रकार का विवाद होने की स्थिति में कोर्ट नहीं जा सकता।

व्यापारियों का कहना है कि सरकार के नए अध्यादेश में साफ लिखा है कि मंडी के अंदर फसल आने पर मार्केट फीस लगेगी और मंडी के बाहर अनाज बिकने पर मार्केट फीस नहीं लगेगी। इस तरह से धीरे धीरे मंडियां खत्म हो जाएंगी और मंडी में कोई माल नहीं खरीदेगा।

अध्यादेश-2: मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश-2020

सरकार द्वारा इस अध्यादेश को कांट्रैक्ट फार्मिंग के मसले पर लागू किया गया है। इससे खेती का जोखिम कम होगा और किसानों की आमदन बढ़ेगी। किसानों की आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स तक पहुंच सुनिश्चित होगी। यानि कि इसके तहत कांट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। जिससे बड़ी-बड़ी कंपनियां किसी खास उत्पाद की खेती के लिए किसानों से कांट्रैक्ट करेंगी। उसका दाम पहले से तय हो जाएगा। इससे अच्छा दाम न मिलने की समस्या खत्म हो जाएगी।

इस अध्यादेश पर किसानों का तर्क ये है कि इसके बाद किसान अपने ही खेत में सिर्फ मजदूर बनकर रह जाएगा। केंद्र सरकार किसानों पर पश्चिमी देशों के खेती का मॉडल थोपना चाहती है। कंपनियों द्वारा कांट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों का शोषण किया जाता। उनके उत्पाद को खराब बताकर रिजेक्ट कर देती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *