किसानों को बड़ा झटका, इतनी कम कीमत पर बिक रही है कपास की फसल

पिछले कुछ दिन से उत्तर भारत की मंडियों में कपास की आवक लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन अभी तक सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है। इसके चलते किसान निराश हैं क्योकि उन्हें अपनी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल कम भाव पर बेचना पड़ रहा है। हरियाणा की मंडी डबवाली के किसानों का कहना है कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) की खरीद शुरू होने की उम्मीद से भाव में तेजी आई थी, लेकिन अभी तक खरीद शुरू नहीं हुई जिसके चलते फिर नरमी आ गई है।

जानकारी के अनुसार डबवाली और सिरसा में किसानों को कपास का भाव 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। लेकिन केंद्र सरकार ने चालू सीजन के लिए लंबा रेशा कपास का MSP 5,825 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यानि किसानों को प्रति क्विंटल 1,000 रुपये कम मिल रहा है। किसान कम दाम पर फसल बेचने के लिए मजबूर हैं क्योकि उन्हें मजदूरों की मजदूरी और बैंकों का कर्ज़ा चुकाने और अगली फसल की बुवाई के लिए भी पैसों की जरूरत है। किसानों का कहना है कि सिर्फ कपास ही नहीं बल्कि मक्का और धान भी MSP से नीचे बिक रहा है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार कपास की सरकारी खरीद को एक अक्टूबर से दी जा चुकी है। लेकिन किसानों का कहना है कि कपास की खरीद सिर्फ कागजों में शुरू हुई है, जबकि अभी तक खरीद एजेंसी मंडी नहीं पहुंची है। वहीँ ये भी कहा जा रहा है कि जो अभी कपास की फसल मंडियों में आ रही है, उसमें ज्यादा नमि है। जबकि CCI 8 से 12 फीसदी तक ही नमी वाले कपास की खरीद करता है।

आपको बता दें कि उत्तर भारत की मंडियों में बीते सप्ताह कपास का भाव 4,900 से 5,150 रुपये प्रति क्विंटल तक था। जानकारी के अनुसार पंजाब में सोमवार से सीसीआई कपास की खरीद शुरू कर सकती है।वहीँ माहिरों का कहना है कि भारतीय कॉटन यानी रूई की इस समय अंतर्राष्ट्री बाजार में जबरदस्त मांग है और इस बार डिमांड और भी बढ़ने की उम्मीद है। जिसके चलते आने वाले दिनों में कपास की कीमतों में मजबूती रहेगी। यानि कि किसानों को आने वाले दिनों में उनकी फसल का अच्छा भाव मिल सकता है।