किसानों को खेती में बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और इन्ही में से एक है ठंड में फसल का मुरझा जाना। दिसम्बर-जनवरी में ज्यादा ठंड पड़ने से आलू, मटर जैसी फसलों पर पाला का असर दिखने लगता है। पाले की वजह फसल खराब होती है और किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन अब फसलों को पाले से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने नई मशीन बना दी है।
जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बनायी है, जो खेत के तापमान को 6 सेंटीग्रेड से नीचे नहीं आने देगी। तापमान जैसे ही छह डिग्री पर पहुंचेगा, गर्म हवा के जरिए ये मशीन खेत का तापमान आठ डिग्री पहुंचा देगी। यही मशीन एक हेक्टेयर क्षेत्रफल का तापमान एक जैसा बनाए रख सकती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मशीन को विकसित करने में उनकी छह लोगों की टीम को लगभग ढ़ाई साल का समय लगा है। ये मशीन बनाने का मुख्य उद्देश्य किसानों को नुकसान से बचाना है। ये मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। मौसम के हिसाब से इसे खेत के मेड़ पर लगाया जाता है। बाहर से आने वाली ठंडी हवा का तापमान जैसे ही छह डिग्री पर आता है मशीन शुरू हो जाती है।
हर साल किसानों की आलू, मटर, चना, मिर्च, टमाटर जैसी फसलें पाले की वजह से बर्बाद हो जाती है। पाले से आलू में झुलसा रोग होता है और पत्तियां काली पड़ जाती हैं। इसी तरह से ही चना व मटर जैसी दलहनी फसलों पर भी पाले का असर पड़ता है। रात में तीन बजे से सुबह पांच बजे तक पाले का ज्यादा रहता है।
फसल को पाले से बचाने वाली इस मशीन में पंखा लगा होता है जो छह फीट ऊंचाई तक गर्म हवा फेंकता है। इस मशीन को बिजली के साथ ही डीजल से भी चलाया जा सकता है। यह व्यवस्था भी रहेगी कि इसके लिए जरूरी बिजली खेत में ही सौर ऊर्जा से बनाई जा सके। एक हार्स पावर की मोटर लगी है। दो -तीन घंटे चलाने पर करीब एक यूनिट बिजली की खपत होगी। 2021 तक इस मशीन को किसानों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।