100 साल पहले अंग्रेजो के खिलाफ पंजाब के किसानों ने ही चलाया था सबसे लंबा आंदोलन

24 सितंबर से कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन को 82 दिन हो चले हैं। लेकिन अभी तक सरकार और किसानों के बीच कोई सहमति नहीं हो पाई है। किसान आंदोलन के पिछले 100 साल के इतिहास को देखा जाए तो आज तक कभी भी सरकार इतनी आसानी से किसानों के आगे नहीं झुका। 113 साल पहले 1907 में भी पंजाब से ही सबसे लंबी लहर ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ चलाई गयी थी।

दिल्ली का किसान मोर्चा भी पगड़ी संभल जट्टा लहर की सफलता पर ही काम कर रहा है। उस समय पगड़ी संभाल जट्टा लहर की ताकत साहित्यकार, लेखक और शायर थे। वहीँ दिल्ली मोर्चा में भी किसानों में जोश भरने का काम गायक कर रहे हैं। खास बात ये है कि सब कलाकार खुद लहर का हिस्सा बने हैं।

आपको बता दें कि पगड़ी संभाल जट्टा किसान आंदोलन की अगवाई करने वाले सरदार अजीत सिंह, शहीद ए आज़म सरकार भगत सिंह के चाचा जी थे। ब्रिटिश शासन काल में आबादकारी नामक बिल लाया गया था। इस बी बिल क उद्देश्य किसानों की जमीनों को हड़पकर बड़े साहूकारों के हाथ में देना था। इस बिल के अनुसार कोई भी किसान अपनी जमीन से पेड़ तक नहीं काट सकता था।

कोई भी किसान अगर ऐसा करता पाया जाता तो नोटिस देकर 24 घंटे में उसकी जमीन का पट्टा कैंसिल करने का अधिकार शासन के पास था। इस बिल की दूसरी सबसे खतरनाक बात यह थी कि जमीन किसान के बड़े बेटे के नाम पर ही चढ़ सकती थी। यानि अगर किसान की औलाद नहीं होती और मुखिया किसान मर जाता तो जमीन अंग्रेजी शासन या रियासत को चली जानी थी।

इस बिल को लाकर अंग्रेजों ने बारी दोआब नहर से सिंचित होने वाली जमीनों का लगान दोगुना कर दिया था। किसानों ने इस बिल के खिलाफ 1907 में आंदोलन शुरू कर दिया था। इस लहर 22 मार्च 1907 में उस समय हुंकारा मिला जब लायलपुर में किसानों के जलसे में लाला बांके दयाल ने पगड़ी संभाल जट्टा पगड़ी संभाल ओए…गीत गाया। किसानों के दबाव के आगे शासन को झुकना पड़ा और नवंबर 1907 को कानून वापस ले लिए गए।