आम तौर पर भूसे के भाव 250 से 500 रुपए प्रति क्विंटल तक होते हैं लेकिन इस बार भूसे के भाव में भयंकर तेज़ी देखने को मिल रही है और ये दाम लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी कारण पशुपालकों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। पिछले कुछ ही दिनों में भूसे के भाव गेहूं के भाव के नज़दीक पहुंचते दिख रहे हैं।
इससे पशुपालकों का खर्चा काफी ज्यादा बढ़ चुका है। हलाकि इससे भूसा स्टोर करके रखने वाले किसानों को काफी फायदा मिलेगा। भूसे के रेट में इतना भारी उछाल आने का सबसे बड़ा कारण भूसे की उपलब्धता कम होना है। जिसके चलते पशुपालक किसान पशु आहार की व्यवस्था करने को लेकर चिंता में आ गए हैं।
आपको बता दें कि भूसे का भाव बढ़ने की दो मुख्य वजह हैं। एक तो बड़े किसानों और व्यापारियों के पास स्टॉक में रखा भूसा बाहर के व्यापारी ले जा रहे हैं। दूसरा मजदूरों ने गेहूं की फसल काटना बंद कर दिया है। जिसके कारण किसान फसल की कटाई मजबूरी में सीधे हार्वेस्टर से करा रहे हैं। जिससे भूसे की उपलब्धता कम होती जा रही है।
जानकारी के अनुसार सोयाबीन और उड़द, चना, मसूर का भूसा ज्यादातर ईंट भट्टे वाले खरीदकर ले जाते हैं। आपको बता दें कि कई राज्यों में तो गेहूं का भूसा 13 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है। बहुत से पशुपालक भूसे के दाम आसमान छूने की वजह से अपने पशुओं को बहुत सस्ते में बेच रहे हैं। ऐसे में दूध उत्पादों की कीमतें भी बढ़ने की संभावना है।
कई जगह तो भूसे की इतनी कमी है कि लोग गेहूं की खड़ी फसल को भूसे के लिए खरीद रहे हैं। आमतौर पर मार्च के आखरी हफ्ते और अप्रैल में गेहूं की फसल की कटाई के समय गेहूं के भूसे की कीमत 4 से 5 रुपए प्रति किलोग्राम रहती है लेकिन इस बार ये कीमत 10 से लेकर 13 रुपए तक हो गई है जिसके चलते पशु पालकों के लिए पशु रखना चुनौती बन गया है।