भूसे के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं और ऐसे में जहाँ एक ओर पशुपालक किसान बहुत परेशान हैं वहीँ गेहूं की खेती करके भूसा बनाकर बेचने वाले किसान भूसे के भाव बढ़ने से खुश भी हैं। बता दें कि हॉर्वेस्टिंग के कारण भूसा की कमी इस बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। जिसके कारण बहुत से किसान अपने पशुओं को बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं।
बहुत सी जगहों पर भूसा के दाम फुटकर में प्रति किलोग्राम 12 रुपए तक पहुंच गए हैं। पिछले 20 दिन में भूसे के दाम में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है। कुछ दिन भूसा 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था, लेकिन अब ये भाव डबल हो चुका है। बताया जा रहा है कि पिछले चार पांच सालों से गेहूं की फसल के लिए हार्वेस्टर चलवाने का चलन जिले में काफी बढ़ गया है।
मजदूरों की कमी के कारण अब 60 प्रतिशत किसान हार्वेस्टर के जरिए फसल की कटाई करवा रहे हैं। यही कारण है कि भूसा की कमी ज्यादा बन रही है। किसानों का कहना है कि पहले गेहूं की कटाई हाथ से होती थी, जिससे भूसा पर्याप्त मात्रा में बन जाता था। लेकिन अब खेती में मशीनों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है और इसका असर तूड़ी पर पड़ रहा है।
इस भूसे के रेट ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कई जगह भूसा 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। व्यपारी आम तौर पर पंजाब और हरियाणा से भूसा उठाकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और गुजरात जैसे इलाकों में अच्छी कीमत पर बेचते हैं। व्यपारियों का भी यही कहना है कि भूसे का रेट इतना ज्यादा बढ़ने का सबसे बड़ा कारण गेंहू की फसल की कटाई कंबाइन व रिपर से ज्यादा होना है।