भूसे के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं और ऐसे में जहाँ एक ओर पशुपालक किसान बहुत परेशान हैं वहीँ गेहूं की खेती करके भूसा बनाकर बेचने वाले किसान भूसे के भाव बढ़ने से खुश भी हैं। बता दें कि हॉर्वेस्टिंग के कारण भूसा की कमी इस बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। जिसके कारण बहुत से किसान अपने पशुओं को बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं।
बहुत सी जगहों पर भूसा के दाम फुटकर में प्रति किलोग्राम 12 से 14 रुपए तक पहुंच गए हैं। कुछ दिन भूसा 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था, लेकिन अब ये भाव डबल हो चुका है। बताया जा रहा है कि पिछले चार पांच सालों से गेहूं की फसल के लिए हार्वेस्टर चलवाने का चलन जिले में काफी बढ़ गया है।
खेती में मशीनों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है और इसका असर तूड़ी पर पड़ रहा है। इस भूसे के रेट ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कई जगह भूसा 1200 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। व्यपारी आम तौर पर पंजाब और हरियाणा से भूसा उठाकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और गुजरात जैसे इलाकों में अच्छी कीमत पर बेचते हैं।
भूसे के जो भाव पिछले 6 महीने में चल रहे हैं इतने ज्यादा भाव पिछले कई दशकों से देखने को नहीं मिले। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहाँ पर भूसा करीब 1300 से 1400 रुपए प्रति क्विंटल तक के भाव में बिक रहा है। वहीँ पंजाब में भी अलग अलग जिलों में भूसे का भाव करीब 600 रुपए से लेकर 800 रुपए प्रति क्विंटल तक चल रहा है।
भूसे के भाव बढ़ने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है सरसों का भाव ज्यादा होना। पिछले साल सरसों का भाव ज्यादा रहा जिस वजह से इस बार किसानों ने गेहूं की बजाव सरसों के रकबे को बढ़ा दिया। खास करके उत्तर भारत में गेहूं का रकबा बहुत कम रहा और इसी वजह से गेहूं का भूसा भी काफी कम रहा। तूड़ी की कमी के कारण ही इसके भाव इतने ज्यादा बढ़ते चले गए।