इस किसान को पपीते की खेती ने किया मालामाल, एक पौधे पर निकलता है 60 से 70 किलो तक फल

गांव मछाना के अग्रणी किसान गुरतेज सिंह सरां खेती विभिन्नता को अपनाते हुए हर साल अपनी जमीन में कुछ नया करने की चाहत रखते हैं और इस बार उन्होंने पपीते के 200 पौधे लगाए हैं। गुरतेज सिंह मालवा में पहली बार पपीते के पौधे लगाकर खेती विभिन्नता को बढ़ावा देने वाले चंद किसानों में से हैं।

उनकी पपीते की कामयाब खेती मालवा के किसानों के लिए मार्गदर्शन साबित होगी। गुरतेज सिंह सरकारी सीसे स्कूल गुलाबगढ़ से बतौर फिजिकल टीचर 2004 में रिटायर हुए हैं। गुरतेज सिंह ने पहले पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) लुधियाना से 3 हफ्ते की ट्रेनिंग ली और फिर अपने खेत में आधे एकड़ में पोली हाउस बनाया और पपीते की बुआई कर दी।

30 से 33 डिग्री सेल्सियस तापमान में पोली हाउस में पपीते के पौधे बढ़कर अढ़ाई-तीन फुट के हो चुके हैं और जल्दी ही इनके फल आने लगेंगे। वह पौधों की समुचित देखभाल के अनुसार तापमान के ज़्यादा होने पर फोगर यानी फव्वारा भी छोड़ते हैं।

इससे पहले गुरतेज सिंह पोली हाउस में सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं लेकिन इस बार अच्छा मुनाफा कमाने के लिए उन्होंने पपीता लगाया, हालांकि आधा एकड़ में 600 पौधे लग सकते हैं लेकिन उन्होंने 200 ही लगाए हैं ताकि इन पौधों से फल लेने की रोटेशन बनी रहे।

गुरतेज सिंह ने बताया कि वो 200 पौधे जुलाई तथा फिर इतने ही पौधे सितंबर महीने में लगाएंगे। पपीते की फसल पर फल आने में करीब 2 महीने लगते हैं और 1 पौधे से 60 से 70 किलो फल निकलता है। गुरतेज सिंह के खेत में फलों की मिठास भरी पड़ी है, जहां हर तरह के फलों के बाग व पेड़ हैं।

उनके 11 एकड़ जमीन में किन्नू के बाग हैं और 2 एकड़ में बेरी के पेड़ लगे हुए हैं। साथ ही उन्होंने पोली हाउस के चारों ओर जामुन के पेड़ लगाए हैं। इसके अलावा वह 1 एकड़ में गेहूं, धान व कपास की पारंपरिक खेती भी करते हैं। और थोड़ी जमीन पर अपने घर के लिए चने की भी खेती करते हैं।

गुरतेज सिंह ने अपने खेत के पास ही मुर्गी व बकरी पालन भी करते हैं जिन्हें वैज्ञानिक तरीके से पाला जा रहा है। बकरियों को चने का भूसा खिलाते हैं । बठिंडा ही नहीं बल्कि दूरदराज के लोग भी इनका मुर्गी व बकरी फार्म हाउस देखने आते हैं।