पॉली और नेट हाउस में इस तरीके से करें शिमला मिर्च की खेती, होगा अच्छा मुनाफा

सब्जियों की संरक्षित खेती में शिमला मिर्च का बहुत अधिक महत्व है। वैसे तो शिमला मिर्च आउट डोर फार्मिंग यानि खुले खेत में उगाया जा सकता है। लेकिन ऐसे में फलों की गुणवक्ता में कमी आ जाती है। जिससे किसान को बाजार में फसल का अच्छा भाव नहीं मिल पाता। शिमला मिर्च के बढ़िया गुणवक्ता वाले फल प्राप्त करने के लिए जिसमें फल का वजन,

रंग और चमक एंव बेदागी फल प्राप्त हों इसके लिए पॉली हाउस या मच्छरदानी या प्लास्टिक की सुंरग के अलावा प्लास्टिक लो टनल के द्वारा अच्छा खासी उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। इन प्लास्टिक संयत्रों में पांच रंगो की शिमला मिर्च को सफलतापूर्वक अच्छे उत्पादन के लिए उगाया जाता है।

इनमें शामिल है हरी शिमला मिर्च, लाल शिमला मिर्च, पीली शिमला मिर्च, संतरी रंग की शिमला मिर्च और चॉकलेटी कलर की शिमला मिर्च शामिल है। इन सभी रंगो की शिमला मिर्च की शंकर प्रजातियां भिन्न भिन्न हैं।  जिनका चुनाव किसान को ध्यान पूर्वक करना चाहिए। किसानों को किस्मों का चयन करते हुए विशेषज्ञ से जानकारी प्राप्त करना बेहद जरूरी है।

रोपाई का उचित समय

15 अगस्त से 15 सितंबर तक का समय पौध तैयार करने से लेकर पौध रोपाई के लिए समय सही है। किसान चाहे तो किन्हीं कारणों से देरी हो जाए तो अधिकतम 30 सितंबर तक भी शिमला मिर्च की पौध की रोपाई कर सकता है।

रोपाई का तरीका : शिमला र्मिच की 25 से 32 दिन की पौध को ऊपर खड़े बैडो पर लगाया जाता है। किसान बैड तैयार करने के लिए बैड मेकर का प्रयोग करता है। जिससे बैडो की डेढ फुट की ऊंचाई, 80 सेंटीमीटर का आधार एंव बैड का ऊपर का माथा एक फुट होना चाहिए। एक ऊपर उठे अच्छे ढंग से बैड तैयार करने के बाद शिमला र्मिच की पौध की एक बैड पर दो कतारों को लगाया जाता है।

प्रजातियों का चुनाव: इंद्रा, बालाडीन, पसरेला, आशा हरी शिमला मिर्च की ये चार प्रजातियां हैं। जिन्हें व्यवसायिक स्तर पर लगाया जाता है। बचाटा व ओरोबिले और एनएस-281 पीले रंग की प्रमुख शंकर प्रजातियां हैं। लाल रंग की शिमला र्मिच उगाने के लिए इंस्प्रेशन, बांबी एंव नामधारी-280 किस्में प्रमुख हैं। जबकि संतरी रंग की शिमला मिर्च के लिए नैटा आंरेज व चॉकलेट रंग की शिमला मिर्च में चॉकलेट वंडर सही है।

प्लास्टिक मल्च व ड्रिप विधि का प्रयोग: बैड के ऊपर पौध रोपाई पहले नीम की खल पांच क्विंटल प्रति एकड़ व निंबिसडीन के तेल का प्रयोग किया जाना चाहिए। साथ ही बैडों के ऊपर दो नालियां बिछाई जाती हैं। और उसके बाद प्लास्टिक की मल्च जिसका काला रंग नीचे व चांदी रंग की सत्तह को ऊपर रखा जाता है।

इतनी रखे पौधों से पौधों की दूरी: शिमला मिर्च की पौध को कटवा लगाए या जेड शेप या डब्ल्यू शेप की विधि द्वारा लगाना चाहिए। पौधों को एक दूसरे के कभी भी आमने सामने न लगाए। कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर, पौधे से पौधे की दूरी 40 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। इस विधि द्वारा एक एकड़ में लगभग दस हजार पौधों की रोपाई की जा सकती है। ध्यान रहे रोपाई दोपहर बाद ही करें।

कैसे करें सिंचाई: रोपाई के तुरंत बाद ड्रिप विधि या टपका सिंचाई द्वारा पानी देना आवश्यक है। किसान मौसम को देखते हुए समय-समय पर पानी देते रहे।

तुड़ाई का समय: नंवबर के महीने में फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। जो कि मई तक चलते हैं। फल जब 225 से 250 ग्राम का हो जाए तो किसान को उस अवस्था में उसे तोड़ लेना चाहिए।