यहां पर किसानों को पराली से होता है 100 करोड़ का फ़ायदा, जानें कैसे

देश के काफी हिस्सों खासकर दिल्ली में प्रदूषण का स्तर हद से बढ़ चुका है। इसके लिए हरियाणा और पंजाब के किसानों को पराली जलाकर प्रदूषण के लिए जिम्मेवार बताया जा रहा है। लेकिन हरियाणा के बहुत से किसानों का कहना है कि वो कभी पराली नहीं जलाते, बल्कि पराली उनके लिए कमाई का साधन है।

हरियाणा के कैथल में 10 हजार से अधिक किसानों के लिए पराली रोजगार का साधन बनी हुई है। कैथल के किसान लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करते हुए लोगों के घर चल रहे हैं। ये कारोबार पिछले 10 साल से चल रहा है। आपको बता दें कि कैथल, कलायत और पूंडरी हलकों में सैकड़ों प्लांट लगे हुए हैं।

इन प्लांटों में धान के सीजन में पराली एकत्रित करके उसे पूरे साल बंडल बनाकर, पैकिंग करते हुए, सूखा चारा बनाकर देश के करीब 15 से अधिक राज्यों में भेजा जा रहा है। साथ ही कैथल व करनाल में एथॉनोल निकालने के प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिनके चलते पराली की कीमत और बढ़ सकती है।

दस साल पहले कुछ लोगों ने कैथल में कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेकर पराली को बेचने का काम शुरू किया था। शुरुआत में किसान पराली को फ्री में खेतों से उठवाते थे। लेकिन इसके बाद किसानों की पराली 1000 रुपये प्रति एकड़, फिर 2000 रुपये प्रति एकड़ और इस सीजन में 3000 से 4000 रुपये प्रति एकड़ तक की कीमत पर बिक रही है

ट्रैक्टर चालक खेतों से लेबर खर्च के साथ पराली लेकर प्लांटों में पहुंचते हैं। इन प्लांटों में इस पराली की गांठे बनाई जाती हैं। इसे काट कर सूखे चारे के बॉक्स बनाए जाते हैं। उन्हें फिर मांग अनुसार महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर सहित देश के करीब 15 से अधिक राज्यों में भेजा जाता है।

कैथल के एक व्यापारी अर्पित का कहना है कि करनाल व कैथल के कांगथली में एथॉनोल का प्लांट लगाया जा रहा है। इस प्लांट में पराली में से एथॉनोल निकलने का काम होगा, जो पेट्रोल में प्रयोग होता है। इसके बाद इस पराली की कीमतें ओर भी बढ़ जाएंगी। इसीलिए पराली जलाने का नहीं बल्कि रोजगार का साधन बनी हुई है।