1509 के बाद अब 1121 ने भी किसानों को किया निराश, सिर्फ इतने रुपए मिल रहा भाव

बासमती 1509 के बाद अब पूसा 1121 के भाव से भी किसान काफी निराश हैं और उन्हें काफी कम भाव में फसल बेचनी पड़ रही है। बासमती निर्यात में पूसा -1121 का प्रमुख योगदान है। लेकिन इस बार 1121 किस्म के थोक खरीदार राइस मिलर्स और निर्यातक इसे खरीदने में संकोच कर रहे हैं। ईरानी खरीदारों से भारतीय निर्यातकों को भुगतान में देरी होना कम कीमतों का मुख्य कारण माना जाता है।

क्योकि 2019-20 के लिए ईरानी खरीददारों द्वारा लगभग 3 लाख टन का भुगतान नहीं किया गया है, जबकि लगभग 1.5 लाख टन चावल निर्यातकों के पास भरा हुआ है। इसी कारण निर्यातक ताजा पूसा -1121 खरीदने और ईरान से नए ऑर्डर बुक करने के लिए अनिच्छुक हैं। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का कहना है कि खरीददार अनाज मंडियों से ताजा धान खरीदने में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं।

खरीददारों के आगे ना आने के कारण पिछले साल की तरह कीमतें नहीं बढ़ रही हैं। कम कीमतों से किसान काफी निराश हैं। शेर सिंह नाम के एक किसान का कहना है कि “मैंने पूसा -1121 की खेती लगभग 10 एकड़ में की है, मुझे उम्मीद थी कि यह मुझे अच्छा रिटर्न देगा, लेकिन यह 2,430 रुपये प्रति क्विंटल बिका, जबकि पिछले साल उन्हें 2,780 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला था।

इसी तरह एक और किसान राज कुमार ने कहा कि इससे पहले पूसा -1509 ने उन्हें निराश किया था क्योंकि पिछले साल 2,300 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकने वाली 1509 इस बार सिर्फ 1,900 रुपये प्रति क्विंटल में बिका। इसी तरह पूसा -1121 की फसल पिछले साल उन्होंने 2800 रुपए के भाव में बेचीं थी लेकिन इस बार 2,400 रुपये में बेचनी पड़ी। किसानों का कहना है कि पिछले साल अच्छे दाम मिलने के बाद, उन्होंने इस बार बड़े पैमाने पर 1121 की खेती की, लेकिन भाव से वो बहुत निराश हैं।

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