श्रीलंका में इस समय जो स्थिति है उससे सभी अच्छी तरह से वाकिफ हैं और श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश से भागने के बाद श्रीलंका में राजनितिक संकट और भी बढ़ता जा रहा है। श्रीलंका को इस मोड़ पर पहुंचाने वाली बदतर आर्थिक स्थिति में आर्गेनिक खेती की भी भूमिका है।
आपको बता दें कि आर्गेनिक खेती बहुत बढ़िया खेती है। लेकिन इसे सही ढंग से लागू करना पड़ता है, वरना फायदे की जगह उल्टा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है और ऐसा ही कुछ श्रीलंका में हुआ है। जहाँ पर आर्गेनिक खेती भी आर्थिंक स्थिति खराब होने की एक वजह बनी।
श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे ने देश में पिछले साल खेती में इस्तेमाल होने वाले सभी कैमिक्ल के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। जिसके चलते करीब 20 लाख से भी ज्यादा किसान प्रभावित हुए और उन्होंने आर्गेनिक खेती का रुख किया। उसके बाद सरकार कीटनाशकों और खाद का घरेलू उत्पादन नहीं बढ़ा पाई।
इस परिवर्तन के चलते श्रीकंका की मुख्य फसल चावल की पैदावार में 30 प्रतिशत की कमी आ गई और चाय की पैदावार भी 18 प्रतिशत कम हो गई। हड़बड़ी में लिए गए इस फैसले ने आर्गेनिक खेती को काफी नुकसान पहुंचाया और अब आर्गेनिक खेती के आलोचक श्रीलंका की दुर्दशा का उदाहरण देने लगे हैं।
श्रीलंका के एक अर्थशास्त्री का कहना है कि देश में एग्रो रसायनों के आर्गेनिक विकल्पों की सप्लाई जरूरी मात्रा में नहीं हो स्की जिसके कारण स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है। हलाकि कृषि माहिरों का कहना है कि श्रीलंका में फ़र्टिलाइज़र पर पाबंदी से हुए नुकसान के लिए आर्गेनिक खेती को दोष देना गलत है। इस निति पर गलत तरिके से अमल हुआ है।