हमारे देश के बहुत से किसान आज के समय में पारम्परिक खेती में ज्यादा कमाई ना होने के कारण चिंतित रहते हैं और पारम्परिक खेती का कोई बदल ढूंढ रहे हैं। किसान भाई चाहते हैं कि उन्हें कोई ऐसी फसल के बारे में जानकारी मिले जिससे वो कम से कम इन्वेस्टमेंट में ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सकें। अगर आप भी पारम्परिक खेती का कोई बदल ढूंढ रहे हैं तो आज हम आपको बहुत ही मुनाफे वाली खेती के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
दोस्तों हम बात कर रहे हैं ऑस्ट्रेलियाई पेड़ यूकलिप्टस की खेती के बारे में। ये पेड़ कम समय में तेजी से बढ़ता है। इस पेड़ को गम, सफेदा और नीलगिरि के नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल पेटियां, ईंधन, हार्ड बोर्ड, लुगदी, फर्नीचर, पार्टिकल बोर्ड और इमारतो को बनाने में किया जाता है।
किसान इसकी खेती बहुत कम खर्च में कर सकते हैं। 1 हेक्टेयर ज़मीन में इसके करीब 3000 हज़ार पौधे लगाए जा सकते हैं। इन पौधों को किसान नर्सरी से करीब 7-8 रुपये में खरीद सकते हैं। यानि एक हेक्टेयर में आपका पौधों का खर्चा करीब 21 हज़ार रुपये आएगा। यानि पुरे खर्चे की बात करें तो आपका करीब 25 हज़ार रुपये का खर्च आयेगा।
इसके एक पेड़ से किसान सिर्फ 4 से 5 साल बाद करीब 400 किलो लकड़ी ले सकते हैं। यानि 3000 पेड़ो से करीब 12,00,000 किलो लकड़ी मिलेगी। मार्किट में ये लकड़ी 6 रुपये प्रति किलो के भाव से बिकती है। यानि किसान इसको बेचने पर करीब 72 लाख रुपये कमा सकते हैं। खर्चा निकालकर भी किसान कम-से-कम 60 लाख रुपये सिर्फ 4 से 5 साल में कमा सकते हैं।
सबसे खास बात ये है कि इन पौधों को किसान कहीं भी कैसी भी जमीन में हर मौसम में ऊगा सकते हैं। इस पेड़ की ऊंचाई 30 से 90 मीटर तक हो सकती है। इसको लगाने के लिए खेत की गहरी जुताई की जाती है और फिर खेत को पाटा लगाकर समतल कर दिया जाता है। खेत को समतल करने के बाद इस पौधे की रोपाई के लिए गड्डो को तैयार किया जाता है। इन गड्ढों में आप गोबर की खाद डाल सकते हैं।
पौधे लगाते समय पौधे से पौधे की दूरी 5 फ़ीट रखनी जरूरी है। बता दें कि इन पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा होता है। क्योकि इस दौरान इन्हे सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। सामान्य मौसम में इन पौधों को 50 दिन के अंतराल में पानी जरूर दें। यूकलिप्टस पूरी तरह तैयार होने में 8 से 10 साल का समय लेता है।