अरबी की खेती कैसे करें, जाने पूरी जानकारी

अगर आप किसी सब्ज़ी की खेती शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, आज हम आपको अरबी की खेती के बारे में पूरी जानकारी देंगे। अभी जायद सीजन चल रहा है। रबी सीजन की कटाई के बाद अधिकांश खेत खाली रहते हैं। यहां गर्मी की फसल पैदाकर किसान को आर्थिक फायदा हो सकता है।  कृषि विशेषज्ञों का कहना है अरबी की फसल को गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।

इसलिए इसे ग्रीष्म और बारिश दोनों ही मौसम में उगाया जा सकता है। जायद सीजन में इसे अप्रैल में उगा सकते हैं। अरबी की बुआई के लिए पर्याप्त जीवांश वाली रेतीली दोमट मिट्‌टी अच्छी रहती है। इससे कड़ी परत न हो। साथ ही जल निकासी की अच्छी पर्याप्त व्यवस्था हो। इसमें गर्मी के दिनों में 6-7 दिन के अंतराल में सिंचाई करना जरूरी है।

खेत तैयार करना

सबसे पहले 2-3 जुलाई करें। उसके बाद खेत में 250 क्विंटल गोबर खाद प्रति हेक्टेयर बुआई के 15-20 दिन पहले मिला दें। अरबी की उन्नत किस्मों में पंचमुखी, सफेद गौरिया, सहस्त्रमुखी, सी-9, सलेक्शन, इंदिरा अरबी-1, इंदिरा अरबी-2 शामिल हैं।

बुआई करने की विधि

समतल क्यारी : इस विधि के अनुसार कतारों की आपसी दूरी 45 सेमी तथा पौधों की दूरी 30 सेमी रखें। कंदों की 0.5 सेमी की गहराई में बुआई करें।
मेढ़ बनाकर बुआई : इसमें 45 सेमी की दूरी पर मेढ़ बनाकर दोनों किनारों पर 30 सेमी की दूरी पर कंदों की बुआई की जाती हैं। बुआई के बाद कंद को मिट्‌टी को अच्छी तरह से ढंक दें। जहां पानी उचित मात्रा में हो वहां पंक्ति व पौधों की दूरी कम की जा सकती है, इससे प्रति हेक्टेयर कंद उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।

उर्वरक : इस विधि के तहत गोबर खाद 25-30 टन, नाइट्रोजन 100 किलोग्राम, फास्फोरस 60 किलो, पोटाश 80 किलो प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता रहती है। नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय डालें। नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा दो बार में बुआई के समय 35-40 दिन और 70 दिन बाद खड़ी फसल में समान रूप से खेत में डालें।
सिंचाई : जायद सीजन में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। इस लिए अरबी की फसल को गर्मियों के दिनों में 6-7 दिन के अंतराल में सिंचाई करना आवश्यक है।