सीखें बिना किसी कीटनाशक के इस्तेमाल से धान का ज्यादा उत्पादन लेने का तरीका

गांव मूलेवाला का किसान दरबारा सिंह और गांव घरांगना का किसान निर्मल सिंह धान की काश्त करने वाले किसानों के लिए मिसाल हैं। दोनों ही किसान 4-5 साल से बिना जलाए पराली का प्रबंधन कर रहे हैं। वहीं खेतीबाड़ी विभाग पंजाब के निर्देशों पर चलते इन किसानों ने खेती पर आने वाला अपना खर्च भी कम किया है। किसानों के अनुसार पराली प्रबंधन से उनके खेतों की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ी है। अब बिना खादों से भी पैदावार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।

दरबारा सिंह : कीटनाशकों पर 70 हजार खर्च बचा रहे

मूलेवाला का दरबारा सिंह 29 एकड़ जमीन में खेती कर रहा है। उसने 2015 से लेकर अब तक पराली को आग नहीं लगाई। हैप्पी सीडर से धान की बिजाई करने से पहले दरबारा सिंह ने पराली का प्रबंधन करने के लिए खेती के अन्य उपकरणों का प्रयोग किया। 2014-15 में उसने धान की पराली की गांठें बनाने के लिए बेलर का उपयोग किया। 2016 -17 में उसने जीरो ड्रिल मशीन तथा रोटावेटर की इस्तेमाल किया। उसने बताया कि कीटनाशक दवाओं का प्रयोग न करते उसने प्रति साल 70 हजार रुपए की बचत की है। इसी बचत से हैप्पी सीडर खरीदा। उसने बिना किसी कीटनाशक का प्रयोग ररके 2120 टन गेहूं का झाड़ प्राप्त किया। एक तरफ उसने लागत बचाई तो दूसरी तरफ सेहतमंद फसल पैदा की।

किसान दरबारा सिंह ने बताया कि 29 एकड़ की जमीन में हैप्पी सीडर का प्रयोग करने के अलावा इस साल उसने साथी किसानों की 30 से 35 एकड़ जमीन में भी 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब के साथ बहाई की। धान की काश्त के लिए हैप्पी सीडर सबसे बढ़िया विधि है। यह तकनीक किसानों के लिए नई है। हैप्पी सीडर अभी महंगा है लेकिन यह धीरे-धीरे हर किसान के लिए फायदेमंद साबित होगा।

निर्मल सिंह : पराली से पशुओं के लिए तैयार करते हैं चारा

गांव घरांगना के किसान निर्मल सिंह 12 एकड़ जमीन के मालि हैं। वह 2014 से पराली को आग नहीं लगा रहे। इन्होंने हैप्पी सीडर से पराली का प्रबंधन किया। 2014 में उनके खेत की उपजाऊ शक्ति और पानी की गुणवत्ता कम थी। खेतीबाड़ी विभाग के अधिकारियों ने उन्हें धान की काश्त न करने की सलाह दी। उसने बताया कि हालांकि उसने धान की काश्त जारी रखी परंतु पराली जलाना बंद कर दिया। इस तरह जमीन को बहुत लाभ हुआ। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में सुधार होने लगा और अगली फसल की लागत भी घटी।

साथ ही प्रति एकड़ झाड़ में विस्तार हुआ। इस साल मिट्टी की रिपोर्ट बताती है कि यह हर तरह के पौष्टिक तत्व बरकरार रखने वाली सबसे बढ़िया मिट्टी है। उसे प्रति एकड़ 2.5 ट्रालियां घास भी प्राप्त होता है जो डेयरी में पशुओं के काम आता है। मुख्य खेतीबाड़ी अफसर गुरमेल सिंह ने बताया कि किसानों को चाहिए कि वह पराली को आग न लगाना यकीनी बनाएं। किसान ने बताया कि खेतीबाड़ी विकास अफसर हरविंदर सिंह सिद्धू ने उनको पराली को आग न लगाने और धान व कम से कम कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करने के लिए भी प्रेरित किया।